रायपुर। अग्रसेन धाम रायपुर में आनन्द मार्ग की रायपुर शाखा द्वारा त्रिदिवसीय विश्वस्तरीय धर्म महासम्मेल आयोजित है, जिसमें भारत सहित विश्व के कई देशों से आनन्द मार्ग के संन्यासी और गृहस्थ आनन्द मार्गी भाग लेंगे। धर्म महासम्मेलन के दौरान सुबह-शाम आनन्द मार्ग दर्शन के प्रवर्तक श्री श्री आनन्दमूर्ति के आध्यात्मिक दर्शन पर आधारित होंगे, जिन आचार्य करुणानन्द अवधूत और अवधूतिका आनन्द निश्छन्दा आचार्य संबोधित करेंगे। रात्रि में आनंद मार्ग स्कूल के छात्र-छात्राओं द्वारा भगवान शिव और श्री कृष्ण की लीलाओं पर आधारित और धर्म पथ पर चलने की आवश्यकता को दर्शाने वाले प्रभात रंजन सरकार के द्वारा दिये गये प्रभात संगीत पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। सम्मेलन के दौरान सभी मार्गों भाई-बहन आनन्द मार्ग के द्वारा किये जा रहे भागवत धर्म के प्रचार प्रचार को ग्रामीण स्तर तक पहुंचाने की योजना पर विचार विमर्श करेंगे।
आनन्द मार्ग दर्शन के अनुसार सम्पूर्ण मानव जाति का धर्म एक है जिसका अर्थ है परमपिता परमात्मा से साक्षात्कार करने के लिए आध्यात्मिक साधना करना। बाहरी आडम्बर से धर्म का कोई लेना-देना नहीं है इसलिए प्रत्येक आनन्द मार्गी नियमित आध्यात्मिक साधना करते हैं, ऋषियों के कथनानुसार वसुधैव कुटुबकम् का अक्षरश: पालन करते हैं। और समस्त विश्व के लोगों को अपने विशाल परिवार का सदस्य मानते हैं. जात-पात आधारित भेद-भाव को कदापि नहीं मानते इसलिए आनन्द मार्ग में अन्तर्जातीय विवाह अनिवार्य है।
आनन्द मार्ग द्वारा पूरी दुनिया में लगभग 1000 स्कूल व महाविद्यालय संचालित किये जा रहे हैं जहाँ पर भारतीय संस्कृति और अध्यात्म पर केन्द्रित शिक्षा दी जाती है। इसके अलावा शिशु सदन संचालित किये जाते हैं जहाँ पालक विहीन बालक-बालिकाओं को आश्रय दिया जाता है और उनकी लिखाई पढ़ाई की व्यवस्था की जाती है छत्तीसगढ़ में 20 स्कूल और दो शिशु सदन कार्यरत है आनन्द मार्ग यूनिवर्सल रिलीफ टीम को संयुक्त राष्ट्र संघ ने NGO का दर्जा प्रदान किया है। रिलीफ टीम बाद, अकाल, भूकम्प महामारी और युद्ध प्राकृतिक व मानव निर्मित विपदाओं के समय पीडित जन समुदाय की सेवा करती है। सारांश यह कि आनन्द मार्ग एक ऐसी हकीकत है जिसके धार्मिक स्वरूप और सेवामूलक कार्य से कोई इंकार नहीं कर सकता।
श्री श्री आनन्दमूर्ति ने कहा है कि यदि विश्व को विनाश से बचाना है तो भारत को बचाना होगा और यदि भारत को बचाना है तो हमें अपनी आध्यात्मिक धराहर को पुनर्जीवित करना होगा।