0 दर्जनों बड़े माओवादी नेता छ्ग छोड़कर तेलंगाना शिफ्ट
जगदलपुर (अर्जुन झा)। पड़ोसी राज्यों में नक्सली समस्या के सफाए के बीच छत्तीसगढ़ में सक्रिय संगठनों में हलचल तेज हो गई है. इस राज्य के अनेक बड़े नक्सली नेताओं के यहां से पलायन कर तेलंगाना में शरण ले लिए जाने की खबर है. वहीं दलमों तथा एरिया कमेटियों में रहकर काम कर रहे तीसरे चौथे दर्जे के छोटे नक्सली नेता और सदस्य अब छत्तीसगढ़ में ही रहकर विभिन्न राजनैतिक दलों से जुड़ने की जुगत लगाने लगे हैं. ऐसा कदम वे अपना वज़ूद बचाए रखने के लिए उठा रहे हैं.
छत्तीसगढ़ समेत महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, ओड़िशा, झारखंड, बिहार आदि पड़ोसी राज्य बीते कई सालों से नक्सलवाद का दंश झेलते आ रहे हैं. केंद्र और राज्य सरकारों ने मिलकर इस समस्या के खात्मे के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है. राज्यों की पुलिस फोर्स व सशस्त्र बलों के साथ ही केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए सीआरपीएफ, विशेष सशस्त्र बल (एसएसबी ), दीगर पैरा मिलिट्री फ़ोर्स के इन सभी राज्यों के नक्सल प्रभावित इलाकों में लगातार जांबाज़ी दिखा रहे हैं. इसी का नतीजा है कि नक्सली संगठनों की कमर अब टूटने लगी है. झारखंड और बिहार में तो नक्सलवाद को जड़ से ख़त्म कर दिए जाने की पुष्टि सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों ने कर दी है. वहीं ओड़िशा में तो 700 नक्सलियों द्वारा आत्मसमर्पण किए जाने की खबर भी सामने आई है. सुरक्षा बलों को नक्सलवाद के खिलाफ मिली बड़ी कामयाबी के बाद छत्तीसगढ़ में सक्रिय नक्सली संगठनों में खलबली मच गई है. अपना वज़ूद बचाने के लिए छत्तीसगढ़ के नक्सली तरह तरह के उपक्रम करने लगे हैं. खबर है कि छत्तीसगढ़ में सालों से अपना दबदबा बनाए रखे अधिकतर बड़े नक्सली लीडर छत्तीसगढ़ से पलायन कर चुके हैं. उनके पड़ोसी राज्य तेलंगाना में शरण ले लिए जाने की सूचना मिली है. वहीं बचे खुचे छोटे नक्सली नेताओं और सदस्यों ने राजनैतिक दलों में घुसपैठ की कोशिश तेज कर दी है.
सियासी दलों में घुसपैठ
बस्तर संभाग छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक नक्सल प्रभावित रहा हैं. सालों से बस्तर के लोग नक्सली उत्पात और सुरक्षा बलों की कार्रवाई के बीच पिसते चले आ रहे हैं. बस्तर में तैनात सुरक्षा बलों और स्थानीय पुलिस फोर्स ने नक्सलियों के नेटवर्क को ध्वस्त करने में अच्छी कामयाबी हासिल की है. वहीं पड़ोसी राज्यों में हुई ठोस कार्रवाई के बाद छत्तीसगढ़ में सक्रिय नक्सलियों का मनोबल और भी टूट चुका है. अपने बड़े नेताओं के छ्ग से पलायन कर तेलंगाना चले जाने से तीसरे और चौथे दर्जे के जो नेता एवं एरिया कमेटियों तथा दलमों जो सदस्य यहां रह गए हैं, वे अब छत्तीसगढ़ के सियासी दलों में शरण लेकर अपना वज़ूद बचाने की जुगत में लगे हुए हैं.