0 बधिरता कार्यक्रम के तहत 1009 लोगों को हियरिंग-ऐड तथा 1683 लोगों को दी गई स्पीच थैरेपी
0 19 से 25 सितम्बर तक मनाया जा रहा है ‘अंतरराष्ट्रीय बधिर सप्ताह
रायपुर। छत्तीसगढ़ में बधिरता कार्यक्रम के अंतर्गत पिछले पांच महीनों (अप्रैल 2022 से अगस्त 2022 तक) में 89 हजार 371 लोगों के कान की जांच की गई है। इनमें से 7455 लोग बधिरता से ग्रसित पाए गए हैं। प्रदेश में कर्ण रोग से जूझ रहे 1699 रोगियों की माइनर सर्जरी और 82 रोगियों की मेजर सर्जरी की गई है। बधिरता कार्यक्रम के तहत 1683 लोगों की स्पीच थैरेपी की गई है। साथ ही समाज कल्याण विभाग के सहयोग से 1009 लोगों को हियरिंग-ऐड उपलब्ध कराया गया है। प्रदेश के सभी 28 जिला अस्पतालों, सभी शासकीय मेडिकल कालेज अस्पतालों और एम्स रायपुर में कान संबंधी इलाज व ऑपरेशन की सुविधा है। इन अस्पतालों की ओपीडी में आने वाले बच्चों और उनके परिजनों को कर्ण रोग की बढ़ रही समस्याओं से बचाव के बारे में जानकारी दी जाती है।
विश्व बधिर संघ (डब्ल्यूएफडी) की ओर से प्रतिवर्ष सितम्बर माह के अंत में अंतरराष्ट्रीय बधिर सप्ताह का आयोजन किया जाता है। इस साल “बिल्डिंग इनक्लुसिव कम्युनिटीज फॉर ऑल (Building Inclusive communities for all)” की थीम पर यह 19 सितम्बर से 25 सितम्बर तक मनाया जा रहा है। इस आयोजन का उद्देश्य बधिरों के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक अधिकारों के प्रति लोगों को जागरूक करने के साथ ही दुनिया भर में सामान्य लोगों के बीच बहरे लोगों की समस्याओं के बारे में समझ बढ़ाना है।
बधिरता कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. आनंद राव ने बताया कि खांसी, जुकाम व कान बहना जैसी समस्याओं को अनदेखा नहीं करना चाहिए। बार-बार कान दुख रहा हो तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए। शिशुवती महिलाएं अक्सर बच्चों को एक करवट लिटाकर दूध पिलाती हैं। इससे बच्चों की कान की नली में दूध चला जाता है और कर्ण रोग की संभावना बढ़ जाती है। बच्चों को सही तरीके से दूध पिलाना चाहिए और हमेशा सतर्कता बरतनी चाहिए। गांवों में अक्सर बच्चे नहरों व तालाबों में नहाते हैं, जिससे गंदा पानी कान में चला जाता है और कान से जुड़ी समस्याएं पैदा हो जाती हैं। शुगर व टीबी के मरीजों को नियमित रूप से अपनी श्रवण क्षमता की जांच करानी चाहिए। बिना चिकित्सकीय सलाह के खुद से कोई भी दवा नहीं लेना चाहिए।
इस तरह बच सकते हैं बहरेपन से
डॉ. राव ने बताया कि कुछ सावधानियों को अपनाकर बहरेपन की समस्या से बचा जा सकता है। कान में नुकीली वस्तु नहीं डालना चाहिए। संगीत सुनते समय, विशेष रूप से हेडसेट के माध्यम से संगीत सुनते समय संगीत की ध्वनि, टीवी देखते समय टीवी की आवाज़ एवं स्टीरियो (त्रिविम ध्वनिक) की ध्वनि के स्तर को कम रखकर सुनना चाहिए। शोर वाले स्थानों में जाने से बचना चाहिए। सड़क के किनारे बैठने वाले नीम-हकीमों और अयोग्य व्यक्तियों से कान की सफाई नहीं कराना चाहिए।
डॉ. राव ने बताया कि कान को सुरक्षित रखने गंदे पानी में तैराकी व स्नान नहीं करना चाहिए क्योंकि यह कान में संक्रमण पैदा कर सकता हैं। डॉक्टर की सलाह के बिना अपने कान में किसी भी तरह का तेल या तरल पदार्थ न डालें। यदि सुनने की क्षमता में किसी भी तरह की परेशानी महसूस कर रहे हैं तो जितनी जल्दी संभव हो डॉक्टर से परामर्श लें।