मंडी बोर्ड में चल रहा बाद में आओ, पहले पाओ का फार्मूला…

0 किसी को पदोन्नति के पंद्रह रोज में पदस्थापना और कई की पोस्टिंग आठ माह से अधर में

0 विभाग व मंत्रालय के बीच झूल रही 5 पदोन्नत ए ई की फाइल

रायपुर। छत्तीसगढ़ शासन के समस्त विभागों में पदोन्नति को लेकर निर्धारित दिशा निर्देश का पालन हो रहा है, लेकिन मंडी बोर्ड में शासन के नियम कायदों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। यहां एक खास उप अभियंता को अगस्त माह में पदोन्नति के बाद पंद्रह दिन में नवीन पदस्थापना का सौभाग्य प्राप्त हो गया तो वहीं जनवरी माह में उप अभियंता से सहायक अभियंता पदोन्नत हुए पांच अधिकारी आठ माह से पदस्थापना आदेश जारी होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। ये पदोन्नति के बाद से पदस्थापना का रास्ता देखते रह गए और मंडी बोर्ड ने एक उप अभियंता को 01 अगस्त को सहायक अभियंता पद पर पदोन्नति देकर 16 अगस्त को उनका नवीन पदस्थापना आदेश जारी कर दिया। बताया जा रहा है कि मंडी बोर्ड ने 29 जनवरी को जिन पांच उप अभियंताओं को सहायक अभियंता के पद पर पदोन्नति दी है, उनकी पदस्थापना की फाइल विभाग और मंत्रालय के बीच झूल रही है। इनकी पद स्थापना 8 माह से अधर में लटकी हुई है और मंडी बोर्ड की फुर्ती का एक नमूना यह है कि कबीरधाम में पदस्थ उप अभियंता मनोज कुमार चंद्राकर को पदोन्नत कर सहायक अभियंता के पद पर कबीरधाम में ही महज एक पखवाड़े में पदस्थ कर दिया गया। यह सवाल खड़े हो रहे हैं कि मंडी बोर्ड में बाद में आओ, पहले पाओ का यह खेल कैसे चल रहा है। भेदभाव क्यों हो रहा है, किसके संरक्षण और मार्गदर्शन में ऐसा किया जा रहा है कि बाद में पदोन्नत अफसर को आनन फानन में जहां का तहां पदस्थ कर दिया गया और पहले से पदोन्नत अफसरों को पदस्थापना से अब तक वंचित रखा गया है। बाद में पदोन्नत एक अफसर को त्वरित पदस्थापना दी जा सकती है तो पहले से पदोन्नत अफसरों को पदस्थापना क्यों नहीं दी गई।
इसके पहले बताया जा रहा था कि पदोन्नति में जातिगत आरक्षण समाप्त किए जाने के बाद शासन द्वारा सभी विभागों में पदोन्नति पर लगी रोक को हटा लिया गया है। नियमानुसार सभी विभागों में पदोन्नति की प्रक्रिया प्रारम्भ हो गई है। लेकिन तब शिकायत मिल रही थी कि मंडी बोर्ड में भी पदोन्नति की प्रक्रिया प्रारम्भ तो हुई लेकिन पदोन्नति के मामले में जमकर भेदभाव किया जा रहा है। कहा जा रहा था कि तकनीकि शाखा के इंजीनियरों की पदोन्नति में तरह -तरह के रोड़े अटकाए जा रहे हैं। सीधी प्रक्रिया के तहत होने वाली पदोन्नति में जानबूझकर अड़चन पैदा की जा रही है। बताया जा रहा था कि सहायक अभियंता से कार्यपालन अभियंता पद पर पदोन्नति में, पदोन्नति के साथ तबादले की शर्त भी जोड़ दी गई और इस प्रक्रिया में जान बूझकर देरी की जा रही थी। इससे उप यंत्रियों के होने वाले प्रमोशन में अनावश्यक विलम्ब हो रहा था। इस मामले में कहा जा रहा था कि एक प्रमोशन सूची तैयार होगी तब दूसरी सूची तैयार की जायेगी। इससे यह स्पष्ट था कि जब तक सहायक अभियंता पदोन्नत नहीं हो जाते तब तक उप अभियंताओं की पदोन्नति लटकी रहेगी। जबकि पात्र उप अभियंताओं की पदोन्नति भी साथ साथ होनी चाहिए थी। वहीं कार्यपालन अभियंता से अधीक्षण यंत्री बनने वालों की फाइल कई तरह की अनियमितताओं की वजह से रुकी हुई बताई जा रही थी। तब यह भी शिकायत सामने आ रही थी कि मंडी बोर्ड ने विशेष कृपा दृष्टि दिखाते हुए मंडी निरीक्षकों को मंडी सचिव के पद पर आनन फानन में पदोन्नत करवा दिया। तब सवाल उठ रहा था कि जब तकनीकि शाखा के अफसरों की पदोन्नति प्रक्रिया पहले शुरु हुई थी तो उसे अधर में लटका कर मंडी निरीक्षकों को मंडी सचिव कैसे बना दिया गया? तब इस मामले में मंडी बोर्ड के प्रबंध निदेशक का कहना था कि क्रमवार तरीके से सभी पात्र लोगों को पदोन्नति का लाभ मिलेगा। किंतु मंडी बोर्ड के निरीक्षकों की पदोन्नति में क्रम की जगह कृपा की वजह क्या है, यह बताने कोई तैयार नहीं था। काफी किरकिरी होने के बाद मंडी बोर्ड ने पांच उप अभियंताओं को पदोन्नत तो कर दिया लेकिन उन्हें नवीन पदस्थापना नसीब नहीं हुई। जिस अफसर को पदोन्नति के पंद्रह रोज में मनचाही जगह पर पदस्थापना मिल गई, उनके बारे में बताया जा रहा है कि वे विधायक पति हैं।

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