0 मवेशियों एवं वन्य प्राणियों पर भी कहर बरपा
(साधुराम दुल्हानी)
जगदलपुर। पश्चित बस्तर के बीजापुर जिले में भारी बारिश का कहर रही है। बरपा बारिश से जहां नींगाचल नदी तथा छोटे-छोटे सैकड़ों पुल-पुलिया एवं मार्गो में जलभराव के कारण वनवासी क्षेत्रों के सैकड़ों ग्रामों का संपर्क टूट गया है। उन्हें राहत दिलाने के लिए जिला प्रशासन वृहद स्तर पर प्रयास कर रही है। बीजापुर जिले के प्रभारी मंत्री कवासी लखमा तथा विधायक विक्रम मंडावी, डीआईजी कमलोचन कश्यप एवं बस्तर आईजी पी. सुंदरराज के अलावा क्षेत्रों में तैनात फोर्स के जवान, नगर सैनिक एवं स्पर्ट गोताखोर तथा बचाव करने वाले राहत दल सतर्कता से जनहानि बचाने के लिए जुटे है। मिली जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ के पश्चिम बस्तर के बीजापुर जिले में हो रहे अनवरत बारिश ने एक बार फिर कहर मचा रखा है, जगह जगह नदी नाले उफान पर होने से सैकड़ों गाँवो का सम्पर्क ब्लाक मुख्यालय व जिला मुख्यालय से पूरी तरह कट चुका है । वहीं भारी बारिश से नदी नाले में आये बाढ़ में 50 मवेशियों के बहने की खबर आ रही है जिसमे कुछ मवेशियों की मौत भी हो गई है ।
जनजीवन प्रभावित: जिले में पिछले दो दिनों से हो रही मुशलाधार बारिश से जन जीवन पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो चुका है वहीं नदी नाले के उफान पर होने से भोपालपटनम, गंगालूर, तोयनार मार्ग पूरी तरह से जिला मुख्यालय से कट चुका है । दूसरी ओर भारी बारिश के कारण पदेड़ा के कडेनार के लँकापरा में और चेकण्टी के पटेलपारा में नदी का पानी गांव में घुसने से वहां के ग्रामीण सुरक्षित जगह पर चले गए हैं । वहीं चिन्नाकवाली के रालापाल में बाढ़ के पानी मे लगभग 50 मवेशी बह गए हैं, जिनमे कुछ मवेशियों की मौत हो गई है । बारिश से पेदाकोरमा के दशरू मोडियाम व कमलेश मोडियाम, रेड्डी के आश्रित ग्राम जारगोया निवासी श्रीनाथ सहित मिड़ते के दो मकान को क्षति पहुंची है ।
लोगो का किया गया रेस्क्यू: बीजापुर जिला मुख्यालय के कोकड़ापारा नाले में अत्यधिक पानी होने से दो महिला और तीन बच्चों का सकुशल रेस्क्यू कर सुरक्षित जगह पर पहुंचा दिया गया है । बीजापुर भोपालपटनम मार्ग पर स्थित मोदकपाल नदी में बाढ़ होने से भोपालपटनम मार्ग भी बंद हो गया है । अगर इसी तहर बारिश का कहर जारी रहा तो इंद्रावती टाईगर रिजर्व में विचरण करने वाले वन प्राणियों पर भी खतरा मंडरा रहा है। साथ ही बरसात थमने के बाद बरसात से सड़क मार्गो का भी कितना नुकसान हुआ है इसका आंकलन से चता चलेगा। साथ ही उद्यानिकी, कृषि तथा वन विभाग द्वारा कराए गए कार्यों पर क्या असर पड़ा है इसका भी कुछ दिनों बाद नुकसान का आंकलन हो पाएगा। कुल मिलाकर बरसात के कहर से माओवादी के कैंपो पर भी असर आना स्वाभाविक है।