शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ब्रम्हलीन

जबलपुर। द्वारिका पीठाधीश्वर अनंतश्री विभूषित जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज आज नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव (श्रीधाम) स्थित परमहंसी गंगा आश्रम झोतेश्वर आश्रम में 99 वर्ष की आयु में ब्रम्हलीन हो गए। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के निधन से सनातन संस्कृति की अपूरणीय क्षति हुई है। देश के संत समाज और स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के शिष्यों, अनुयायियों में शोक की लहर फैल गई। वर्ष 1942 में स्वामी जी ने स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका निभाई थी। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी ने 2 सितंबर 1924 को ब्राम्हण परिवार में जन्म लिया था। मात्र 9 वर्ष की आयु में वे भारत की आध्यात्मिक चेतना की पताका फहराने संन्यास के मार्ग पर निकल पड़े थे। तरुण वय में वे क्रांतिकारी साधु के रूप में विख्यात हो गए थे। महाराजश्री के लाखों दीक्षित शिष्यों में देश की बड़ी बड़ी राजनीतिक हस्तियां शामिल हैं। उनके निधन पर कई महामंडलेश्वर, संतों सहित मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुरेश पचौरी ने गहन दुख व्यक्त किया है। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज को कल दोपहर में समाधि दी जायेगी। उनकी पार्थिव देह अंतिम दर्शनों के लिए रखी गई है।

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