0 पुरंदेश्वरी बतायें गुजरात सरकार के अमानवीय कदम से कितना सहमत है?
रायपुर। एक गर्भवती महिला के साथ सामूहिक दुराचार और उसकी तीन वर्षीय बच्ची और 7 परिजनों की हत्या के आरोप में सजा काट रहे 11 अपराधियों को रिहा कर भाजपा की गुजरात सरकार ने अमानुषता की सारी सीमाओं को तोड़ दिया। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा की छत्तीसगढ़ प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी जो खुद भी एक महिला है वे बतायें कि अपनी पार्टी की गुजरात सरकार के इस अमानवीय कदम से कितना सहमत है? गुजरात सरकार का यह कदम भाजपा क्रूर और महिला विरोधी मानसिकता को प्रदर्शित करता है। भाजपा अपनी विचारधारा को पोषित करने क्रूर से क्रूरतम स्तर तक गिर सकती है। गुजरात सरकार के इस कदम से पूरी मानवता शर्मसार हुई है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि गुजरात सरकार का दावा है कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार अभियुक्तों को रिहा किया है। जबकि माननीय सर्वोच्च अदालत ने गुजरात सरकार को 3 महीने के भीतर रिहाई पर नियमानुसार विचार करने को कहा था न कि रिहा करना। इसलिए बलात्कार एवं हत्या के अभियुक्तों को रिहा करने का फैसला पूर्ण रूप से गुजरात सरकार का है न कि सुप्रीम कोर्ट का। गुजरात सरकार ने दावा किया है कि अभियुक्तों के क्षमा एवं रिहाई का निर्णय 1992 की नीति के तहत लिया गया है। लेकिन सच्चाई ये है कि 8 मई 2013 को गुजरात सरकार द्वारा यह नीति समाप्त कर दी गई थी। 2014 के केंद्रीय गृह मंत्रालय के दिशा निर्देशों के अनुसार भी हत्या, सामूहिक बलात्कार जैसे मामलों में अभियुक्तों की क्षमा या रिहाई पर रोक लगा दी गई है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि दूसरा महत्वपूर्ण कानूनी तथ्य यह है कि ऐसे किसी भी अपराध जिसकी जांच केंद्रीय एजेंसी द्वारा की गई हो, जैसा इस प्रकरण में सीबीआई द्वारा जांच की गई, तो राज्य सरकार अभियुक्तों की रिहाई या क्षमा का निर्णय नहीं ले सकती। सीआरपीसी की धारा 435 के तहत राज्य सरकार को केंद्र सरकार से अनुमति लेनी होती है। ऐसे में केंद्रीय गृह मंत्री एवं प्रधानमंत्री बतायें कि क्या गुजरात सरकार ने रिहाई देते समय केंद्र सरकार की अनुमति ली थी? अगर राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से अनुमति नहीं ली थी तो क्या गुजरात सरकार के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी?