आरक्षक ने पत्नि को भरण पोषण के लिये 8 हजार रूपये तथा अन्य प्रकरण में 12 हजार प्रतिमाह देना स्वीकार किया…

0 सौतेले पिता द्वारा बेटियों के जमीन हड़पने की गलत नियत को रोकने आयोग की टीम करेगी मुआयना

0 सेना में सिपाही द्वारा पत्नि से मारपीट प्रकरण का सिपाही के आने पर होगा निराकरण

रायपुर। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने आज शास्त्री चैक स्थित राज्य महिला आयोग कार्यालय में महिलाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए सुनवाई की।
आज एक प्रकरण की सुनवाई में आवेदिका तीन बहने है। उनके पिता के मृत्यु के बाद उनकी माता ने बच्चों के चाचा के साथ विवाह किया है। सौतेला पिता अब अपनी बेटियों की जमीन हड़पने की नियत से उनको परेशान कर रहा है। आवेदिकागणों ने बताया कि उनके साढ़े तीन एकड़ भूमि को गांव के लोगो को रेगहा नही लेने हेतु डरा-धमका रहा है। इससे आवेदिका की एक साल की आमदनी नही होने से उसके जीवन यापन पर असर पड़ेगा। इस पर अनावेदक का कहना है कि मैंने खेत को बोने के लिए कोई रोक टोेक नही किया है। इस स्तर पर आयोग के अध्यक्ष डाॅ नायक ने कर प्रशिक्षु वकील एवं आयोग की कांउसलर के साथ कल ग्राम पंचायत जौन्दा में आवेदिकागणों के साथ जाकर स्थल का जायजा लेगे। इस दौरान ग्राम पंचायत भवन में कोतवाल द्वारा मुनादी कर समस्त ग्रामवासी को आहूत किये जाने के निर्देश दिये गये हैं। आवेदिका ने यह भी बताया कि गांव के कोतवाल हमारे जमीन के कागजात लाने के लिए धमकाता है। ग्रामवासी के समक्ष अनावेदक घोषणा करेंगे कि उनके द्वारा किसी भी रेगहा लेने वाले पर कोई रोक नही लगाई गयी है। इस सम्पूर्ण प्रक्रिया की रिपोर्ट काउंसलर के द्वारा तैयार किया जायेगा। जिसमें ग्रामसभा में उपस्थित गवाह लोगों का हस्ताक्षर लिया जायेगा और विडियो प्रशिक्षु वकीलगण के द्वारा तैयार किया जायेगा। इस सम्पूर्ण आॅर्डर शीट की विडियो और रिपोर्ट तैयार किया जायेगा। जिससे इस प्रकरण का निराकरण किया जा सकेगा।
एक अन्य प्रकरण में अनावेदक जो जिला निर्वाचन कार्यालय जगदलपुर में कार्यरत है। पत्नि द्वारा घरेलू खर्च चलाने के लिये पति के वेतन से राशि की मांग की गयी। पति ने बताया कि लोन की किस्ती कटने के बाद 20 हजार रूपये बचता है। जिसमें से 12 हजार रूपये अपने बेटी और पत्नी को प्रतिमाह पत्नी के बैंक अकाउंट में नियमित रूप से जमा करने की सहमति दी। आयोग की अध्यक्ष ने अनावेदक को आगामी सुनवाई में तीन साल का बैंक स्टेटमेंट, बीमा के कागजात और सर्विस बुक में आवेदिकागणों के नाम के उल्लेख का पृष्ट लेकर उपस्थित होने के निर्देश दिये हैं। जिससे इस प्रकरण का निराकरण किया जा सकेगा। इसी तरह एक अन्य प्रकरण में दोनों पक्षों के बीच हस्तलिखित शर्तों के अधीन समझौता हुआ है। जिसके आधार पर दोनों फिर से एक साथ रहने के लिए तैयार है। इस प्रकरण में लगातार 6 माह तक आयोग के सदस्य द्वारा निगरानी किया जायेगा। दोनों पक्षों को समझाईस दिया तथा सटाम्प पेपर में शपथ देकर कांउसलर के माध्यम से आयोग में जमा कराएं ताकि प्रकरण का निराकरण हो सके।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका जो पी.एच.डी. की छात्रा है उसे विश्वविद्यालय द्वारा पीएचडी के अंतिम समय में अंतिम में रोक लगा दी गयी है। इस संबंध में आवेदिका के पास पर्याप्त आधार है कि वह अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा रोक नही लगायी जा सकती। आयोग द्वारा आवेदिका को समझाईस दिया गया कि अपना सम्पूर्ण कथन शपथ पत्र में बनाकर आयोग में प्रस्तुत करें। इस आवेदन की प्रति तीनों अनावेदकगणों को व्यक्तिगत रूप से जाकर देने की सूचना से आयोग को अवगत कराएं। जिससे अनावेदकगणों का शपथपूर्वक जवाब आयोग में मंगाया जा सके। आवेदिका के द्वारा व्यक्तिगत जानकारी दिये जाने के बाद इस प्रकरण का निराकरण किया जा सकेगा। इसी तरह एक अन्य प्रकरण में अनावेदक थाना कबीरनगर थाना में आरक्षक पद पर पदस्थ है। आवेदिका ने बताया कि अनावेदक द्वारा शराब पीने के साथ साथ अन्य लड़कीयों से नाजायज बनाने संबंधी काम करता है। आरक्षक द्वारा आए दिन आवेदिका से मारपीट कर घर से निकाल देता है। आवेदिका इसके चलते अपनी 9 साल की बेटी को लेकर अपने मायके में रहती है। अनावेदक द्वारा आवेदिका को 8 हजार रूपये प्रतिमाह भरण-पोषण की दिये जाने के लिए स्वीकार किया है। प्रतिमाह आवेदिका के बैंक अकाउंट में नियमित रूप से जमा करेगा। अगर अनावेदक राशि देने में इंकार करता है तो आवेदिका द्वारा आयोग में लगाये गये आवेदन के आधार पर डीजीपी को आयोग की ओर से पत्र भेजा जायेगा। इस प्रकरण को नस्तीबध्द किया गया। इसी तरह एक अन्य प्रकरण में आवेदिका के पति आर्मी में सिपाही है। पति छुट्टी में आता है और मारपीट करता है। आवेदिका को घर से बाहर निकालने की धमकी देता है। अनावेदक पति अनुपस्थित है, अनावेदक ससुर ने बताया कि वह बहु को रखना चाहता है। इस स्तर पर अनावेदक पति की सुनवाई में उपस्थित जरूरी है। आयोग ने आवेदिका को समझाईस दिया कि जब पति छुट्टी में आयेगा तब आयोग को सूचित करें। जिससे की अनावेदक पति की उपस्थिति में ही इस प्रकरण का निराकरण किया जा सकेगा। आज जनसुनवाई में 30 प्रकरण रखे गए थे जिसमें 6 प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया है।

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