मोदी सरकार छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों के भविष्य के खिलाफ – कांग्रेस

रायपुर। पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी द्वारा छत्तीसगढ़ कर्मचारियों के जमा 17240 करोड़ रू. राज्य को वापस नहीं किया जाना छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों के साथ अन्याय है। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि राज्य सराकर ने कर्मचारियों के भविष्य और बुढ़ापे को सुरक्षित रखने ओल्ड पेंशन योजना शुरू किया था। मोदी सरकार उसमें भी अड़गा लगा रही है। मोदी सरकार संघीय ढांचे के खिलाफ भूपेश सरकार के हर जनकल्याणकारी काम में रोड़ा अटकाती आयी है। छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार द्वारा कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए पुरानी पेंशन योजना को पुनः लागू किया गया था लेकिन इस योजना को असफल करने के लिए मोदी सरकार 17240 करोड रुपए जोकि राज्य के कर्मचारियों की मेहनत का पैसा है और नई पेंशन योजना के तहत पैशन फण्ड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी में जमा की गई थी उसे लौटाने को तैयार नहीं हो रही है।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि मोदी सरकार पहले ही राज्य के हक के विभिन्न मदों के पैसों पर कुंडली जमाकर बैठी है। राज्य सरकार की ओर से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस संबंध में पत्र भी लिखा जा चुका है मगर लगातार पत्र व्यवहार और चर्चा के बावजूद मोदी सरकार अपने तानाशाही रवैये पर अडिग है। मोदी सरकार की ओर से यह जवाब दिया जा रहा है कि नियमों में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। हर नीति नियम को ताक पर रख उद्योगपतियों के लाखों करोड़ों रुपए बड़ी ही बेशर्मी से माफ करने वाली और युवाओं के भविष्य को बर्बाद करने के लिए अग्निवीर योजना लाने वाली मोदी सरकार छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों के हित में लागू की जा रही पुरानी पेंशन योजना के लिए नियम कानून का हवाला देकर अपने छत्तीसगढ़ विरोधी चरित्र को उजागर कर रही है।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि मोदी सरकार पहले भी भूपेश सरकार द्वारा की जाने वाली धान खरीदी जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं में रोड़ा अटकाती रही है। ऐसे समय में छत्तीसगढ़ भाजपा के 9 सांसद सहित सारे बड़े भाजपा नेताओं की चुप्पी यही स्पष्ट करती है कि यही लोग भूपेश सरकार की जन हितैषी नीतियों को विफल करने के लिए कार्य योजना बनाकर मोदी सरकार को सौंपते रहते हैं। यदि छत्तीसगढ़ भाजपा के नेता खुद को छत्तीसगढ़ हितैषी बताते हैं तो उन्हें इस बात को साबित करने के लिए मोदी सरकार से मांग करनी चाहिए कि वो कर्मचारियों के 17240 करोड रुपए वापस करें। अगर मोदी सरकार यह पैसे वापस नहीं करती है तो कांग्रेस और कर्मचारी मिलकर मोदी सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन करेंगे।

 

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