(अर्जुन झा)
जगदलपुर। बस्तर का आदिवासी बेवफा नहीं हो सकता। ऐसा नहीं हो सकता कि वादा किसी से और इरादा किसी से। वादे और इरादे में कोई भेदभाव नहीं। वादा भी निभा देता है और इरादा भी पूरा कर देता है। कुछ माह पहले बस्तर के एक आदिवासी लाल ने एक ही मंडप में दो प्रेमिकाओं से एक साथ शादी की थी। अब बस्तर के कोंडागांव इलाके के एक और आदिवासी लाल ने इससे भी बढ़कर कमाल कर दिखाया। इस युवक ने दो प्रेमिकाओं को मां बनाने के बाद एक साथ ब्याह रचाकर एक नया इतिहास रच दिया। उसने साबित कर दिया कि अगर रिश्ता बन गया तो आदिवासी उसे निभाना भी जानते हैं। मुंह मोड़ना बस्तर के आदिवासी की फितरत में नहीं है। दिलचस्प खबर है कि बस्तर के कोंडागांव जिले के उमला गांव में आदिवासी समाज में एक ऐसी दोहरी दुल्हन वाली शादी हुई, जिसमें युवक ने पहले दो लड़कियों को मां बनाया, उसके बाद दोनों लड़कियों से एक ही मंडप में ब्याह रचाया। दोनों युवतियों और उनके परिजनों की सहमति से सामाजिक रीति – रिवाज से एक दुल्हे ने दो दुल्हनों को जीवन साथी बनाया। यह अनोखी शादी आठ जून को उलमा में संपन्न हुई। खबरों में कहा गया है कि केशकाल ब्लाक के अंतर्गत आने वाले ग्राम उमला का दूल्हा शादी से पहले प्रेम प्रसंग में दो अलग अलग युवतियों के एक एक बच्चे का पिता बन गया था और अब एक साथ इन दो पत्नियों का पति बना।रजनसिंह ने पहले ग्राम दुर्गेश्वरी से शादी का प्रस्ताव रखा। दोनों की सगाई हो गई। तब से युवती उसके घर रहने लगी। उसने एक बच्चे को जन्म दिया। इसी बीच रजनसिंह का सन्नो से भी प्रेम हो गया । सन्नो भी एक बच्चे की मां बन गई। बिना शादी किए बच्चा होने की जानकारी पर लोगों के बीच सामाजिक दण्ड की बातें उठने लगीं तो रजनसिंह ने परिवारों और समाज की सहमति के बाद दोनो युवतियों से एक साथ शादी कर ली।