मोदी सरकार छत्तीसगढ़ में पैदा कर रही कोयला संकट – कांग्रेस

0 छत्तीसगढ़ के कोयले पर पहला अधिकार प्रदेश वासियों का

रायपुर। छत्तीसगढ़ के पावर प्लांटों के लिये कोयले की रेक नहीं उपलब्ध करवाने के केंद्र के रवैये का कांग्रेस ने विरोध जताया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि छत्तीसगढ़ के विद्युत उत्पादन इकाईयों के सामने कोयले का संकट पैदा हो गया है। मोदी सरकार कोयला खदानों से संयंत्रों तक कोयला पहुंचाने के लिये रेक नहीं दे रहा है। भारत की सर्वाधिक कोलरियां हमारे यहां है। छत्तीसगढ़ से देश भर में कोयला जा रहा है। केंद्र सरकार देश के दूसरे राज्यों में कोयला परिवहन के लिये भरपूर मात्रा में रेलवे के वैगन दे रहा है लेकिन छत्तीसगढ़ के विद्युत उत्पादन इकाईयों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। देशभर में कोयला पहुंचाने के नाम पर रेलवे ने छत्तीसगढ़ की 50 से अधिक यात्री ट्रेनों को भी बंद कर दिया है। छत्तीसगढ़ के नागरिको की यात्रा सुविधाओं को केंद्र ने बंद कर दिया है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कोयला प्रचुर मात्रा में है और छत्तीसगढ़ से कोयला देश के कई राज्यों को जाता है, उसके बावजूद मोदी सरकार के अन्यायपूर्ण रवैये के कारण प्रदेश में पहली बार कोयला संकट जैसी स्थिति उत्पन्न हो रही है। छत्तीसगढ़ के कोयले पर पहला अधिकार छत्तीसगढ़ वासियों का है। एसईसीएल लगातार कोयला उत्पादन बढ़ा रहा है मगर उसके बावजूद उसमें से ज्यादातर कोयले की आपूर्ति प्रदेश के बाहर की जा रही है। मोदी सरकार के षडयंत्र पूर्ण रवैये के कारण प्रदेश के पावर प्लांटों के पास अधिकतम 10 दिन का कोयला ही बचा हुआ है। मोदी सरकार द्वारा प्रायोजित ढंग से छत्तीसगढ़ के साथ की जा रही कोयले की इस लूट के कारण छत्तीसगढ़ में बहुत जल्दी बिजली और कोयले का संकट निर्मित हो सकता है। भारत विश्व के पांचवें नंबर का कोयला उत्पादक देश है जिसके पास 319 अरब टन कोयला के भंडार हैं। आजादी के बाद से देश में यह पहली उद्योगपतियों की चाकरी करने वाली सरकार आई है जिसके राज में देश कोयला संकट देख रहा है। देश की अधिकतर बिजली ताप विद्युत संयंत्रों में बनती है और इन संयंत्रों में मुख्य रूप से कोयले का उपयोग होता है। केंद्र में बैठी मोदी सरकार को जब यह बातें मालूम थी तो उन्होंने पहले से ही कोयले के खनन, भंडारण और प्रबंधन के लिए पहले से ही कार्य योजना क्यों बना कर नहीं रखी थी? आज देश में कोयला संकट जैसी स्थिति मोदी सरकार के कारण बनी है। कोयला संकट संयोग के बजाय प्रयोग भी हो सकता है। इस प्रकार अचानक पैदा हुआ संकट किसी षड्यंत्र की ओर इशारा कर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के करीबी अदानी समूह देश का सबसे बड़ा कोयला कारोबारी है। जिस प्रकार से देश की कई बड़ी सार्वजनिक कंपनियों को घाटे में बता कर अपने उद्योगपति सहयोगीयों को बेच दिया गया उसी प्रकार हो सकता है कि मोदी सरकार कोयले का कृत्रिम संकट पैदा कर कोयला खदानों को भी अपने निकटतम उद्योगपति मित्रों को बेचना चाहती हो। राज्य सरकारों और देश के सार्वजनिक उपक्रमों के अधिकारों को बाईपास करके मोदी सरकार बड़े पैमाने पर कोल इंडिया लिमिटेड और एसईसीएल की खदानों को अपने निजी पूंजीपतियों मित्रों को आंबटित कर रही है। यही नहीं अपने पूंजीपति मित्रो के द्वारा आयातित मंहगे कोयले को खपाने के लिये मोदी सरकार देश में कृत्रिम कोल संकट पैदा करके महंगा कोलया खरीदने मजबूर कर रही है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ के साथ सौतेले व्यवहार को बंद करें। हमारे राज्य में कोयला है तो यह हमारी ताकत है। हमारे विद्युत उत्पादन इकाईयों तक कोयला प्राथमिकता से पहुंचना चाहिये। यह रेलवे और कोल इंडिया दोनों सुनिश्चित करें। छत्तीसगढ़ की जनता यह कदापि भी बर्दाश्त नहीं करेगी कि हमारे कोयले से पूरा देश जगमगाये और हमारे नागरिक अंधेरे में रहने को मजबूर हो। बिजली संकट के कारण हमारे उद्योग के सामने परेशानी आयेगी तो इसका पुरजोर विरोध कांग्रेस पार्टी करेगी। कोल उत्खनन के कारण होने वाले पर्यावरण नुकसान, जल, जंगल, जमीन का नुकसान प्रदेश को उठाना पड़ता है। ऐसे में प्रदेश से उत्पादित कोयले का पहला अधिकार छत्तीसगढ़ के लोगों का है।

 

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