रायपुर। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीड़िया प्रभारी संजय चौंबे ने बताया कि भारत के ई-कॉमर्स बाजार में दिन-प्रतिदिन की वृद्धि के मद्देनजर देश भर के व्यापारियों ने हालांकि सहमति व्यक्त की कि ई-कॉमर्स भविष्य में व्यावसायिक गतिविधियों का एक संभावित तरीका है, फिर भी अधिकांश व्यापारियों को लगता है कि ई-कॉमर्स में माल बेचने के लिए जीएसटी पंजीकरण का अनिवार्य रूप से होना एक प्रमुख बाधा है जबकि दूसरी तरफ बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियां नीति और नियमों को तोड़ने में पीछे नहीं हैं और देश का ई-कॉमर्स बाजार में असमान प्रतिस्पर्धा बहुत जोर शोर से है क्योंकि बड़ी ई कॉमर्स कंपनियां खुले रूप से नीति और नियमों की धज्जियां उड़ा रही हैं ! कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की रिसर्च बॉडी कैट रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी द्वारा किए गए छोटे विक्रेताओं के एक सर्वेक्षण के अनुसार छोटे व्यवसाय के मालिक ई-कॉमर्स को अपनाने के लिए अधिक उत्सुक हैं उसके लिए भारत के ई कॉमर्स व्यापार में ढांचागत सुधार लाना बेहद जरूरी है !सीआरटीडीएस द्वारा ऑनलाइन किए गए सर्वेक्षण में 24 राज्यों के 21 शहरों से 630 छोटे व्यापारियों ने सर्वे फॉर्म भर कर अपनी स्वतंत्र प्रतिक्रिया दी है !
कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष श्री जितेन्द्र दोशी ने कहा कि सर्वेक्षण के अनुसार 72% व्यापारियों ने कहा कि भारत में व्यापारियों के लिए ई-कॉमर्स व्यवसाय भविष्य में व्यापार करने का एक बड़ा का संभावित तरीका है, जबकि 66% व्यापारियों को लगता है कि ऐसा करने के लिए अनिवार्य जीएसटी पंजीकरण है। ई-कॉमर्स पर व्यापार एक बड़ी बाधा है। 94% छोटे व्यापारियों का विचार है कि बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियां अपने एकाधिकार की शर्तों तथा नीतियों और कानूनों की धज्जियां उड़ा रही हैं ! सर्वे में यह भी सामने आया की 89% व्यापारियों ने कहा कि एक निष्पक्ष ई-कॉमर्स के लिए परिभाषित ई-कॉमर्स नीति और नियम आवश्यक हैं। श्री पारवानी एवं श्री दोशी ने यह भी बताया की सर्वे में 94% व्यापारियों ने कहा कि सभी के लिए ई-कॉमर्स के व्यवसाय की मजबूत वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए ई-कॉमर्स के लिए एक नियामक प्राधिकरण आवश्यक है जबकि 92% व्यापारियों का मानना है कि खुदरा क्षेत्र में वर्तमान एफडीआई नीति में आवश्यक संशोधन की आवश्यकता है।
श्री पारवानी और श्री दोशी ने कहा कि ई-कॉमर्स ने अब भारत में ई-कॉमर्स को एक बड़ा एक्सपोजर दिया है, हालांकि ऑफलाइन रिटेलर्स की तुलना में ई-कॉमर्स परिदृश्य सभी प्रकार के प्रतिबंधों से पूरी तरह मुक्त है जिससे किसी भी कानून की परवाह किए बिना कुछ भी व्यापार करने के लिए कोई भी स्वतंत्र है जो कि एक बेहद खेदजनक स्थिति है। इसलिए ई-कॉमर्स और खुदरा व्यापार को बराबरी पर लाते हुए सरकार पूरे खुदरा व्यापार को पारदर्शी और कानून के अनुरूप बनाने के लिए बाध्य है और ई-कॉमर्स कंपनियों को अब और अधिक खुला बाजार नहीं दिया जाना चाहिए और उन्हें अपने व्यापारिक व्यवहार में अधिक पारदर्शी बनाया जाना चाहिए।
श्री पारवानी एवं श्री दोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अंतिम मील के व्यक्ति द्वारा भी डिजिटल प्रौद्योगिकी को अपनाने और स्वीकार करने पर बहुत जोर दिया है, लेकिन ई-कॉमर्स पर बेचने के लिए अनिवार्य जीएसटी पंजीकरण की शर्त छोटे व्यापारियों के लिए एक बड़ी बाधा है ! छोटे व्यापारियों के लिए अपने व्यवसाय को व्यापक बनाने में ई-कॉमर्स का लाभ उठाने की सुविधा के लिए इस शर्त को समाप्त करने की आवश्यकता है।