रायपुर। भारतीय जनता पार्टी द्वारा माटी पूजन और अक्ती तिहार का विरोध भाजपा का छत्तीसगढ़ विरोधी चरित्र है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि इसके पहले जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने श्रमिक दिवस के दिन श्रमिकों के सम्मान में बोरे बासी खाने का आह्वान प्रदेश की जनता से किया था तब भी भारतीय जनता पार्टी ने बोरे बासी खाने का माखौल उड़ाया था। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही लगातार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राज्य की संस्कृति, तीज त्योहारों, परंपरा स्थानीय बोली भाषा को बढ़ावा देने के लिये प्रयास कर रहे है। तीजा पर छुट्टी, तीजा पोला, हरेली, कमरछठ का मुख्यमंत्री निवास सहित शासकीय स्तर पर आयोजन कर छत्तीसगढ़िया त्योहारों का मान बढ़ाया है। श्री राम वन गमन पथ और माता कौशल्या मंदिर के निर्माण से छत्तीसगढ़ की वैभवशाली आध्यात्मिक परंपरा पुर्नजीवित हुई। विश्व आदिवासी नृत्य महोत्सव, आदिवासी साहित्य सम्मेलन का आयोजन कर कांग्रेस सरकार ने छत्तीसगढ़ की समृद्ध प्राचीन आदिवासी संस्कृति को देश दुनिया के सामने लाकर गौरवान्वित करने का काम किया है। भाजपा को इस बात की पीड़ा है कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति के संरक्षण का जो काम भूपेश बघेल कर रहे वह भारतीय जनता पार्टी 15 साल तक नहीं कर पाई। भाजपा ने राज्योत्सव के आयोजन पर करोड़ों रु. खर्च किया लेकिन तब सलमान खान, करीना कपूर बुलाये जाते थे।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य का गठन ही इसलिए हुआ है कि छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान की पुर्नस्थापना की जा सके, छत्तीसगढ़िया संस्कृति को बढ़ावा दिया जा सके और छत्तीसगढ़िया हितों का संरक्षण किया जा सकें। यह प्रदेश का दुर्भाग्य है कि ये सारे काम राज्य बनने के 18 वर्षों बाद शुरू हो सका है। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने प्रदेश में 15 वर्षो तक राज किया, लेकिन छत्तीसगढ़िया हितों का संरक्षण करने के बजाय छत्तीसगढ़ियों के दमन में लगी रही। अब प्रदेश के मुख्यमंत्री और माटी पुत्र भूपेश बघेल जब छत्तीसगढ़ की कला, संस्कृति, सभ्यता और संस्कार को बढ़ावा देने के साथ राज्य के मूल निवासियों के स्वाभिमान को जगा रहे हैं तो अपने आप भाजपा की पोल खुल रही है, जिससे छत्तीसगढ़ विरोधी मानसिकता के भाजपा नेता और उनके दुमछल्ले तिलमिला रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि अक्ती के दिन माटी पूजा न केवल छत्तीसगढ़ की कृषि संस्कृति का अहम हिस्सा है, बल्कि इसका वैज्ञानिक महत्व भी है। अब जब छत्तीसगढ. के सारे तीज-त्योहारों को प्रतिष्ठा मिल रही है, तो भाजपा के नेताओं को इस बात की खीझ हो रही है, कि सत्ता में रहते हुए वे अपनी सरकार से ये सब काम क्यों नहीं करा सके। दरअसल भाजपा और उनकी सरकार की कमान संभालने वालों का राज्य की परंपरा और संस्कृति से कोई वास्ता नहीं रहा और उनके दुमछल्लों की इतनी औकात कभी नहीं रही कि वे उनके सामने राज्य की हितों की बात उठा सकें। अपनी इसी कमजोरी को छिपाने के लिए अब भाजपा का समूचा नेतृत्व राज्य सरकार की खोखली आलोचना करने में जी-जान से जुटा हुआ है। लेकिन राज्य की जनता भाजपा की विधवा प्रलाप को बेहतर तरीके से समझती बूझती है। भाजपा के पास अभी भी वक्त है, कि वे छत्तीसगढ़ का स्वाभिमान बढ़ाने वाली राज्य सरकार के लोकप्रिय कार्यक्रमों एवं योजनाओं का समर्थन करके अपने पुराने पाप को धो सकते हैं।