माटी होही तोर चोला रे संगी, चोला माटी केहे रे एकर का भरोसा…

 

0 भूपेश बघेल के संग, विकास और भरोसे के रंग

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल रायपुर के एक निजी होटल में एनडीटीवी द्वारा आयोजित कार्यक्रम में छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया थीम पर सवालों के जवाब देते हुए कहा कि हमारी नयी औद्योगिक नीति, कृषि और वनोपज आधारित उद्योगों को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। बड़े-बड़े उद्योगों के बजाय हमने छोटे-छोटे उद्योगों को प्राथमिकता दी है। हमने हर गांव को उत्पादक इकाइयों के रूप में विकसित करने का काम किया है, जहां कृषि और वनोत्पादों के वैल्यू एडीशन पर सबसे ज्यादा जोर दिया जा रहा है। पशुपालन को पुनर्जीवित करने के लिए हमने गोधन न्याय योजना की शुरुआत की, जिसमें 2 रुपए किलो में गोबर खरीदकर उससे जैविक खाद बना रहे हैं। इस यह काम स्व सहायता समूहों की लाखों महिलाओं द्वारा किया जा रहा है। इस खाद का उपयोग खेतों में किया जा रहा है, जिससे महंगी रासायनिक खाद के उपयोग में कमी आई है। कृषि लागत कम हुई है और किसानों का लाभ बढ़ा है। जमीन की उर्वरा शक्ति भी लौट रही है।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि इसी तरह वन उत्पादों के वैल्यू एडीशन से भी लाखों की संख्या में रोजगार के अवसर निर्मित हुए हैं। हमने तेंदूपत्ता संग्रहण दर को 2500 रुपए मानक बोरा से बढ़ाकर 4000 रुपए मानक बोरा कर दिया है। छत्तीसगढ़ में दर्जनों किस्म के लघु वनोपज होते हैं, दुर्लभ जड़ी-बूटियां होती हैं। हमने इनके संग्रहण को प्रोत्साहित किया। समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने वाले लघु वनोपजों की संख्या 07 से बढ़ाकर 65 कर दी। इनकी खरीदी के लिए एक व्यवस्था सुनिश्चित की। आज हमारे यहां देश में सबसे ज्यादा लघु वनोपज इकट्ठा हो रहा है।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि सुराजी गांव योजना से खेतों के लिए सिंचाई का इंतजाम किया, खेतों की उर्वरता सुनिश्चित की, पशुधन का संरक्षण और संवर्धन सुनिश्चित किया, ग्रामीणों का पोषण सुनिश्चित किया और लाखों की संख्या में रोजगार के नये अवसरों का निर्माण किया। दो रुपए किलो में गोबर खरीदने और जैविक खाद बनाने से शुरु हुई हुई गोधन न्याय योजना आज एक मिशन के रूप में संचालित हो रही है। गांव-गांव में गोठान बनाकर उन्हीं गोठानों में इस योजना का संचालन किया जा रहा है। अब तक 10 हजार 500 से अधिक गोठानों के निर्माण की स्वीकृति दी जा चुकी है, जिनमें से 8 हजार 500 से अधिक गोठान सक्रिय हैं।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार की कुशल नीतियों के कारण कोरोना संक्रमण काल में देश के सर्वाधिक 74फीसदी लघु वनोपज का संग्रहण संभव हुआ।
मुख्यमंत्री श्री बघेल की प्रकृति प्रेम और छत्तीसगढ़ की माटी से जुड़ाव की झलक भी सबले बढ़िया छत्तीसगढ़िया कार्यक्रम में दिखी। उन्होंने एंकर के अनुरोध पर “माटी होही तोर चोला रे संगी” और “चोला माटी केहे रे एकर का भरोसा” को गायन के लहजे में सुनाया।

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