ई-कॉमर्स बढ़ रहा है लेकिन अनिवार्य जीएसटी पंजीकरण का प्रावधान छोटे व्यापारियों के लिए एक बाधा है

रायपुर। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीड़िया प्रभारी संजय चौंबे ने बताया कि ऐसे समय में जब केंद्र सरकार ई-कॉमर्स नीति का मसौदा तैयार कर रही है और ई-कॉमर्स व्यवसाय तेज से गति से बढ़ रहा है और देश के उपभोक्ताओं को ई कॉमर्स से खरीददारी करना अधिक सुविधाजनक हो रहा है ऐसे में कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने एक बार फिर किसी भी ई-कॉमर्स पोर्टल पर ऑनबोर्डिंग के लिए अनिवार्य जीएसटी पंजीकरण के प्रावधान को समाप्त करने की अपनी मांग को फिर से दोहराया है। कैट ने आज कहा कि यह प्रावधान देश भर में बड़ी संख्या में व्यापारियों को अपने व्यापार को बढ़ावा देने के लिए ई-कॉमर्स का उपयोग करने से रोक रहा है।

कैट ने इस संबंध में केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीथारमन से अभी कुछ दिन पहले आग्रह किया था की छोटे व्यापारी भी ई -कॉमर्स के जरिये अपना माल बेच सकें, इस दृष्टि से जीएसटी क़ानून में अनिवार्य जीएसटी पंजीकरण को जीएसटी कॉउंसिल द्वारा समाप्त कराया जाए। इसी विषय को लेकर कैट का एक प्रतिनिधिमंडल बीते सप्ताह केंद्रीय वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल से इस मामले को लेकर मिला था और इस पर वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण के साथ उठाने का भी आग्रह किया था। इसके अलावा कैट के सभी राज्यों के चैप्टरों ने अपने राज्य के वित्त मंत्रियों को भी ज्ञापन सौंपा है।

कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष श्री जितेन्द्र दोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने सरकारी प्रशासन के डिजिटलीकरण से काम करते हुए छोटे स्तर पर भी डिजिटलीकरण को अपनाने की पुरजोर वकालत की है। वहीं दूसरी ओर, केंद्रीय वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल ने बार-बार व्यापारिक समुदाय से ई-कॉमर्स का लाभ उठाने और इसे अपने व्यवसाय का एक अतिरिक्त वर्टिकल बनाने का भी आग्रह किया है। इसके अलावा वाणिज्य मंत्रालय का डीपीआईआईटी विभाग विशेष रूप से छोटे व्यापारियों के लाभ के लिए डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क (ओएनडीसी) शुरू करने पर तत्पर है जिसमें न केवल छोटे व्यापारियों को अपने उत्पाद स्वतंत्र रूप से बेचने की सुविधा होगी वही उपभोक्ताओं को अपनी पसंद के उत्पाद खरीदने के लिए खुला विकल्प प्रदान करना भी एक लक्ष्य है किन्तु अनिवार्य जीएसटी पंजीकरण प्रावधान छोटे व्यापारियों के लिए इस पोर्टल पर भी ई-कॉमर्स का लाभ उठाने में एक बड़ी बाधा बनेगा।

श्री पारवानी और श्री दोशी ने कहा कि यद्यपि छोटे व्यापारी ई-कॉमर्स को अपने व्यवसाय के अतिरिक्त मॉड्यूल के रूप में बनाने के लिए अधिक इच्छुक हैं लेकिन अनिवार्य जीएसटी पंजीकरण की शर्त उन्हें ई-कॉमर्स व्यावसायिक गतिविधियों को करने से रोक रही है। यहां तक कि ओएनडीसी को भी इस समस्या का सामना करना पड़ेगा क्योंकि कोई भी व्यापारी जो जीएसटी के साथ पंजीकृत नहीं है, वह ई-कॉमर्स में भाग नहीं ले पाएगा।

श्री पारवानी एवं श्री दोशी ने कहा कि जीएसटी अधिनियम के तहत, 40 लाख रुपये तक का सामान बेचने वाले और सालाना 20 लाख रुपये तक की सेवाएं प्रदान करने वालों को जीएसटी पंजीकरण प्राप्त करने से छूट दी गई है। इसलिए, जिन व्यापारियों का टर्नओवर इस सीमा से नीचे है वे कभी भी किसी ई-कॉमर्स पोर्टल पर व्यापार नहीं कर पाएंगे या अपनी खुद की वेबसाइटों के माध्यम से डिजिटल रूप से व्यापार नहीं कर सकते हैं। कैट के एक प्रतिनिधिमंडल ने लगभग एक सप्ताह पहले केंद्रीय वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल से मुलाकात की थी और उन्हें वास्तविक स्थिति से अवगत कराया था। उन्होंने कैट को आश्वासन दिया कि वह इस बारे में श्रीमती निर्मला सीतारमण से बात करेंगे।

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