0 वनोपज के संवर्धन से स्व-सहायता समूह हो रही आत्मनिर्भर
रायपुर। छत्तीसगढ़ में बीते तीन साल में लोगों को आजीविका के लिए अनेक नए अवसर मिल रहे हैं। इस कड़ी में वन धन विकास केन्द्रों ने भी बड़ी भूमिका निभाई है। इसकी बानगी छत्तीसगढ़ के उत्तरी इलाकों में भी देखने को मिल रही है। राज्य के आदिवासी बहुल जशपुर क्षेत्र में वनोपज के रूप में मिलने वाले झाड़ू फूल को उपयोग में लाकर महिलाओं ने आजीविका के साथ आर्थिक सुदृढ़ता के अवसर तलाश चुकी हैं। यहां महिलाएं झाड़ू फूल से झाड़ू का निर्माण कर आमदनी प्राप्त कर रही हैं।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में तीन साल पहले सरकार गठन के बाद अनेक क्षेत्रों में नवाचार हुए। राज्य शासन के वन विभाग ने भी वन धन विकास केन्द्रों की स्थापना करने और इन केन्द्रों के माध्यम से ग्रामीण और वनवासी क्षेत्रों के रहवासियों के लिए रोजगार व आजीविका के नए अवसर दिलाने के लिए पहल की। वन धन योजना के तहत वनोपज झाड़ू फूल का मूल्य पांच हजार रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित है। ऐसे में जशपुर में कार्य कर रही अमर स्व-सहायता समूह की महिलाएं झाड़ू फूल से झाड़ू बनाकर संजीवनी केन्द्रों के माध्यम से विक्रय कर रही हैं। जानकारी के मुताबित समूह द्वारा अब तक 50 हजार रुपये का झाड़ू तैयार कर विक्रय किया जा चुका है। इससे होने वाली आमदनी से स्व-सहायता समूह की ये महिलाएं प्रोत्साहित हैं और बड़ी मात्रा में झाड़ू निर्माण करने के लिए तैयारी कर रही हैं।
उल्लेखनीय है कि जशपुर जिला वन जैव विविधता की दृष्टि से काफी समृद्ध है। जिले के वन क्षेत्र में ईमारती काष्ठ, साल बीज, महुआ फूल, तेंदू पत्ता के अतिरिक्त उच्च गुणवत्ता के कई अन्य वनोपज भी पाये जाते हैं। यहां के वनों में वनोपज के रूप में झाड़ू फूल वृहद मात्रा में मिलता है। ऐसे में वन धन विकास केन्द्रों से जुड़ी स्व-सहायता समूह की महिलाएं फूल झाडू बना रही हैं। संग्रहित झाड़ू फूल के संवर्धन का कार्य ग्राम पोरतेंगा के वन धन समूह द्वारा किया जा रहा है, जिसके बाद अमर स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा संग्रहित झाडू फूल से अच्छी गुणवत्ता का झाड़ू बनाया जा रहा है। उपभोक्ता यहां तैयार फूल झाड़ू को काफी पसंद कर रहे हैं। झाड़ू का विक्रय संजीवनी केंद्र के साथ ही जिले के सी-मार्ट के माध्यम से भी किया जाएगा।