नशे के गिरफ्त में बस्तर के युवा

– साधुराम दुल्हानी

जगदलपुर। बस्तर में जो लोग शराब पीकर नशा करते है उनके बारे में सबको यह पता रहता है कि इन्होंने नशा की है या ये नशा करते हैं, लेकिन ठीक इसके विपरीत नशीली दवाइयां नशावृत्ति को छिपाए रखने का एक ससक्त माध्यम बन गया है। यही वजह है कि किशोर और युवा वर्ग तेजी से इन नशीली दवाइयों के प्रति आकर्षित होने लगे हैं। एक-दूसरे की देखादेखी या शुरु-शुरु में उत्सुकतावश अथवा फैशन के चक्कर में इन नशीली दवाइयों का स्वाद चखने वाले धीरे-धीरे बुरी तरह इनके गिरफ्त में फंसने लगते हैं। बड़ी बात यह है कि इनकी कोई दुर्गन्ध या सुगंध बाहर से पता नहीं चलने के कारण घर के बड़ों या अभिभावकों को प्रारंभ में अपने बच्चों के नशा पान की ओर झुकाव के बारे में कोई जानकारी नही होती, मगर जब धीरे-धीरे नशे का कुप्रभाव उन पर गहराता जाता है तब लक्षण भी उभर कर सामने आने लगते है लेकिन तब तक इतनी देर हो चुकी होती है कि वे नशे की आगोश में पड़ गए होते हैं। तब इसके बाद उन्हें नशे की गिरफ्त से बाहर निकालना या तो असंभव हो जाता है या बहुत मुश्किल।
अगर ग्रामीणों को देखे तो उनके लिए चाहे खुशी का मौका हो या दुख का, नशा करना एक परंपरा समान है। वही शहरों में भी लोग अपने-अपने तरीके से नशा करते है। यह नशा मुख्यत: देसी-विदेशी शराब या स्थानीय स्तर पर उत्पादित मादक द्रव्यों तक ही सीमित रहती आयी है, पर अब बीतते समय के साथ नशीली दवाइयां जिस तरह से नशे का एक मुख्य माध्यम बनती जा रही है वह एक अत्यंत खतरनाक स्थिति का द्योतक बनता जा रहा है।
नशे की ओर कदम बड़ा रहे किशोर और युवा उसके लिए खर्च जुटाने गलत तरीके अपनाने में भी पीछे नही रहते। इसके लिए झूठ बोलना, चोरी करना, धोखाधड़ी करना कोई भी रास्ता अपनाने से परहेज नही करते। एक ओर बिगड़ता स्वास्थ्य, दूसरी ओर मानसिक तनाव क्रमश: उनकी पढ़ाई या कामकाज से भी दूर कर देता है। नशीली दवाइयों के कारोबार पर अत्यंत सख्ती से अंकुश लगाया जाय। अगर ये दवाइयां उपलब्ध नही होगी तभी इस बढ़ती नशा खोरी पर विराम लगाना मुमकिन है। यह कोई आसान काम तो नही है पर देश की नई पीढ़ी को बुरी आदतों से बचाने ऐसा किया जाना समय की बड़ी जरुरत है। नशीली दवा के तस्कर अपनी जेबे भरने युवाओं तक हर तरह से नशीली दवाइयां सुलभ कराने की कोशिश है जिससे इनका उपयोग और बढ़ रहा है। यह नशावृत्ति एक ओर अगर युवाओं के स्वास्थय पर अत्यधिक बुरा असर डाल रहा है, वही दूसर ओर उनमें गलत आदतों को बढ़ावा देने का कार्य भी कर रहा है।

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