रायपुर। प्राथमिक चिकित्सा शिक्षा और उसके पाठ्यक्रमों की जरूरत पर भारतीय प्राथमिक चिकित्सा परिषद (FACI) द्वारा आयोजित संवाददाता सम्मेलन में प्राथमिक उपचार पाठ्यक्रम के बारे में विस्तार से डॉ. शबाब आलम द्वारा बताया गया। सभी इच्छुक अभ्यार्थी जो चिकित्सा सेवा के क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं, उन्हें इस पाठ्यक्रम के माध्यम से बेहतर विकल्प प्राप्त हो सकता है। यह पाठ्यक्रम रोजगार एवं स्वरोजगार को बढ़ाने के लिए एक पहल है ।
डॉ. आलम ने बताया कि हर घर में लोग आपात स्थिति के लिए फर्स्ट एड किट जरूर रखते हैं। छोटी-छोटी स्वास्थ्य संबंधी परेशानी आने पर लोग फर्स्ट एड बॉक्स का सहारा लेते हैं। कोरोना महामारी के दौर में हर कोई अस्पताल जाने से बचना चाहता है। इस कारण फर्स्टस एड बॉक्स हमेशा रखना चाहिए। इसके साथ ही हर जरूरत की चीज उसमें जरूर होनी चाहिए। यदि सही समय पर रोगी को प्राथमिक चिकित्सा मिल जाए तो संबंधित रोगी का जीवन बचाया जा सकता है। वैसे तो वाहन कंपनियों की ओर से सभी वाहन में फर्स्ट एड किट दी जाती है और बड़े वाहनों में फर्स्ट एड बॉक्स होता है। आमतौर पर सभी वाहनों में फर्स्ट एड बॉक्स होता है। रोगी के पास तक एम्बुलेंस पहुंचने तक रोगी को कुछ आराम मिले, इसलिए प्राथमिक उपचार दिया जाता है।
प्राथमिक चिकित्सा का उद्देश्य कम से कम साधनों में इतनी व्यवस्था करना होता है कि चोट ग्रस्त व्यक्ति को समय पर इलाज कराने की स्थिति में लाने में लगने वाले समय में कम से कम नुकसान हो। यह कभी-कभी जीवन रक्षक भी सिद्ध होता है। कई बार हम फर्स्ट एड बॉक्स को रख लेते हैं लेकिन उसे रेगुलर चेक नहीं करते जिस कारण कई बार ऐसी दवाइयाँ भी उसमें पड़ी रहती हैं जो एक्सपायर और हमारे किसी काम की न हो। ऐसे में जरूरत पड़ने पर यह काम नहीं आती। फर्स्ट ऐड को शिक्षा की दृष्टि से हमारे एजुकेशन सिस्टम में लाना अति आवश्यक है। सरकार की ओर से यह महसूस किया गया है कि अभी देश में स्वास्थयकर्मियों की बहुत कमी है इस तथ्य को मद्देनजर रखते हुए कुछ संस्थान को एक जगह रखकर राष्ट्रीय बनाया गया है। जिसको हम भारतीय प्राथमिक चिकित्सा परिषद (FACI) कहते हैं। डॉक्टर शबाब आलम द्वारा निर्देशित यह भारतीय प्राथमिक चिकित्सा परिषद् ( FACT) एक स्वायत्त निकाय संस्था है, जो फर्स्ट एड (First Aid) यानी शिक्षा प्रशिक्षण, जागरुकता सहायता और उससे संबंधित आवश्यक सूचनाओं को एकत्र कर जन-जन तक पहुंचाने का कार्य करती है। साथ ही देश में संपूर्ण स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को और अधिक मजबूत बनाने का आव्हान करती है। सन 1877 में जब सेट जोन एम्बुलेस एसोसिएशन की स्थापना की गई। फर्स्ट एड (First Aid) यानी प्राथमिक चिकित्सा किसी भी इमरजेंसी जैसे दुर्घटना की स्थिति में समस्या की पहचान और सहायता प्रदान करने का पहला कदम है। फर्स्ट एड में सामान्य और जीवन को बचाने वाली तकनीक शामिल होती है। प्राथमिक चिकित्सा को लोग कम से कम इक्विपमेंट और बिना मेडिकल अनुभव के ही प्रदान कर सकते हैं। यह किसी मेडिकल उपचार का हिस्सा नहीं है और न ही डॉक्टर की सलाह और ट्रीटमेंट की जगह हो सकता है। इसमें आपको जब तक पीडित व्यक्ति को मेडिकल हेल्प नही मिल जाती, तब तक सामान्य प्रक्रियाओं और कॉमन सेन्स का प्रयोग करके स्थिर रखना होता है, ताकि उसकी जान बच सके।
फर्स्ट एड काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉक्टर शबाब आलम का कहना है कि प्राथमिक चिकित्सा विशेषज्ञ डिप्लोमा कोर्स एक अनोखा कोर्स है जिसके माध्यम से पूरे देश स्वास्थ्य सुरक्षा के सबंध में एक सकारात्मक संदेश जनहित स्वरोजगार हेतु दिया गया है। इसके लाभ प्रदेश के छात्र अध्यापन केंद्र के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं। प्राथमिक चिकित्सा प्रशिक्षित, एक कुशल पेशेवर न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी प्राथमिक चिकित्सा सेवाएं प्रदान कर सकता है लेकिन यह सब कौशल युक्त प्रशिक्षण के बिना संभव नहीं है।