०मुस्कान स्व-सहायता समूह की दिदियां बना रहीं केमिकल रहित गुलाल
सुकमा । रंगों के त्यौहार होली इस वर्ष सुकमा जिले के ग्राम नागारास के कोट्टीगुड़ा के मुस्कान समूह की दिदियों के लिए दोगुनी खुशी साथ लेकर आया है। जिलेवासियों को हर्बल, रसायल रहित रंग उपलब्ध कराने के साथ ही उन्हें स्वयं रोजगार मिला। रंगों के पर्व होली में खुशियां बिखरने में रंग और गुलाल का विशेष महत्व है। बाजार में भिन्न प्रकार के गुलाल उपलब्ध होते हैं, जिनमें रसायनों की मिलावट के कारण त्वचा पर दुष्प्रभाव होता है। इस वर्ष सुकमा जिले में होली के पर्व को सुरक्षित और सेहतमंद बनाने के उद्देश्य से एक अभिनव पहल करते हुए मुस्कान समूह की पांच दीदियों को हर्बल गुलाल बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
मुस्कान स्व सहायता समूह के दिदियों ने बताया की इस वर्ष पहली बार हर्बल गुलाल रंग निर्मित कर रही हैं। पूर्व में यह दिदियां रोजगार की तलाश में मिर्ची तोड़ने के लिए अन्य प्रदेश चली जाती थीं। इसे देखते हुए जिला पंचायत सीईओ श्री डी.एन.कश्यप के मार्गदर्शन में इन दिदियों को रोजगार का साधन उपलब्ध कराते हुए गुलाल बनाने का प्रशिक्षण प्रदान किया गया, जिससे उन्हें घर पर ही अच्छी आमदनी हो। गुलाल बनाने के लिए मुख्य रुप से मक्के का आटा और प्राकृतिक खाने वाले रंगों का इस्तेमाल कर रही है। खुशबु के लिए इस मिश्रण में सुगंधित बॉडी पाउडर और बादाम के तेल का उपयोग कर रही हैं। जिस कारण इस गुलाल को बड़ों के साथ साथ बच्चे भी निश्चिन्त होकर प्रयोग में ला सकते है। उन्होंने बताया की इस हर्बल रंग गुलाल से स्वास्थ्य पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। आंखो में चले जाने से कोई जलन नहीं, त्वचा पर भी किसी प्रकार की खुजली की परेशानी नहीं होती।
गुलाल बनाने से लेकर बेचने तक का दे रहे प्रशिक्षण
ग्रामीण आजिविका मिशन के जिला कार्यक्रम समन्वयक श्री महेन्द्र चौहान ने बताया कि मुस्कान समूह की दिदियों को पंखुड़ी संस्था के माध्यम से गुलाल बनाने से लेकर बाजार बनाने तक का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। लाल, हरा, पीला, नीला और गुलाबी रंग के कुल 2 क्विंटल मात्रा में गुलाल बना रहीं हैं। उन्होंने बताया की गुलाल को स्थानीय बाजार के साथ ही शबरी मार्ट और स्टाल लगाकर क्रय किया जाएगा। सुकमावासियों के साथ ही हर होली त्यौहार मनाने वाले को यह गुलाल आकर्षक पैकेजिंग में मात्र 30 रुपए में उपलब्ध किया जाएगा। नवाचार होने के कारण इस वर्ष कम मात्रा में गुलाल बना रहें है। आगामी वर्षों में मांग बढ़ने के अनुसार उत्पादन में भी वृद्धि करेंगे।