कैट ने एकीकृत साइबर रेगुलेटरी अथॉरिटी की मांग की है

रायपुर। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीड़िया प्रभारी संजय चौंबे ने बताया कि केंद्रीय वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल को आज भेजे गए एक पत्र में, कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने जल्द ई-कॉमर्स नीति को लागू करने और एक एकीकृत साइबर रेगुलेटरी अथॉरिटी के गठन के लिए मजबूती से आग्रह किया है। नई दिल्ली में हाल ही में संपन्न दो दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ ट्रेड लीडर्स की बैठक में 152 शीर्ष व्यापारी नेताओं ने भाग लिया, और प्रत्येक ने विभिन्न विदेशी ई कॉमर्स कंपनियों के निरंतर कदाचार और कानूनों और नियमों के उल्लंघन पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। पिछले दो वर्षों में विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर श्री गोयल द्वारा लगातार दी गई कई चेतावनियों के बावजूद भारतीय ई कॉमर्स बाज़ार को इन विदेशी कंपनियों ने पुरी तरह नष्ट कर दिया है। व्यापार और सेवाओं के क्षेत्र में ई-कॉमर्स कंपनियों के मनमाने रवैये से व्यथित, हो कर इस सम्मेलन में एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें श्री गोयल से एक मजबूत ई-कॉमर्स नीति और एक एकीकृत साइबर रेगुलेटरी अथॉरिटी को लागू करने का आह्वान किया गया। कैट ने एक समान पत्र श्री अश्विनी वैष्णव, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री को भी भेजा है।

कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष श्री जितेन्द्र दोशी ने बताया की सम्मेलन में ये भी प्रस्ताव पारित हुआ कि इंटरनेट और प्रौद्योगिकी ने लोगों के दैनिक आधार पर काम करने और बातचीत करने के तरीके में क्रांति ला दी है। इसने पारंपरिक व्यवसायों को प्रोत्साहन दिया है, नए व्यवसायों और नई व्यावसायिक प्रथाओं का जन्म हुआ है, और सूचना को सभी के लिए सुलभ बनाकर नागरिकों को सशक्त बनाया जा रहा है। इंटरनेट की पहुंच में वृद्धि और समाज के सभी स्तरों पर प्रौद्योगिकी को अपनाने के साथ-साथ क्षेत्रों में तेजी से डिजिटलीकरण ने समाज और अर्थव्यवस्था में बड़े पैमाने पर व्यवधान पैदा किया है और नए और अप्रत्याशित मुद्दों और चुनौतियों को भी जन्म दिया है। इसलिए, इन उभरते और अप्रत्याशित मुद्दों का निवारण महत्वपूर्ण हो जाता है और इसके लिए डिजिटल अर्थव्यवस्था के विभिन्न तत्वों की सूक्ष्म समझ और तकनीकी मूल्यांकन की आवश्यकता होती है, जिसमें डेटा, उपभोक्ता व्यवहार, उभरती हुई प्रौद्योगिकियां आदि शामिल हैं, जो सभी के लिए एक बिल्डिंग ब्लॉक के रूप में काम करते हैं। इस संबंध में, यह अनिवार्य हो जाता है कि डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र के नियमन के लिए एक सुव्यवस्थित और समग्र दृष्टिकोण को उच्चतम स्तर पर अपनाया जाए जो प्रौद्योगिकी के विकास, उपयोग और अपनाने से संबंधित क्रॉस-सेक्टरल प्रभावों के साथ क्रॉस-कटिंग मुद्दों को संबोधित करने में मदद करे।

श्री पारवानी एवं श्री दोशी ने आगे बताया कि प्रस्ताव में आगे कहा गया है कि वर्तमान में, भारत के पास सभी क्षेत्रों मे विरासत में मिली एक रेगुलेटरी अथॉरिटी है, जो कि समय समय पर परिवर्तित होते हुए वर्तमान चिंताओं को दूर करने के लिए विकसित हुई है। इससे उभरती प्रौद्योगिकियों, उत्पादों, सेवाओं, ऑनलाइन व्यवहार, व्यापार मॉडल और प्रथाओं के एक महत्वपूर्ण हिस्से रेगुलेटरी ऑथोरिटी से बाहर हो गए है जिससे क्रॉस-कटिंग और अन्य मुद्दे किसी भी नियामक से बाहर हो गए है। ये दोनों उदाहरण भी नियामकों के बीच संघर्ष का मूल कारण रहे हैं और इससे बाजार में अनिश्चितता पैदा हुई है जिसने नवाचार और विकास को बाधित किया है। इस खंडित दृष्टिकोण ने डिजिटल इकोसिस्टम तंत्र में किसी भी उत्पाद, सेवा, व्यवसाय मॉडल और/या व्यावसायिक अभ्यास से जुड़े जोखिमों को पूरी तरह से और समग्र रूप से पकड़ने की सरकार की क्षमता को भी बाधित किया है । इसके अलावा, विभिन्न समकालीन विधानों और नीतियों में भी संकीर्ण रूप से तैयार किए गए नियामकों की स्थापना की परिकल्पना की गई है। इनमें से सभी एक समग्र और प्रभावी तरीके से डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र की तेजी से विकसित चुनौतियों और जरूरतों का जवाब देने के लिए सरकार की क्षमता को संचयी रूप से आगे बढ़ा रहे हैं।

श्री पारवानी एवं श्री दोशी ने आगे कहा कि प्रस्ताव में यह संकल्प भी लिया गया था कि , इन चुनौतियों को कम करने के लिए, और इंटरनेट और टेक्नोलॉजी को गतिशील और प्रभावी बनाने के लिए एक बहुआयामी, विशिष्ट, समर्पित और जिम्मेदार रेगुलेटरी अथॉरिटी की जरूरत है। इस संबंध में, एक ऐसे एकीकृत साइबर रेगुलेटरी अथॉरिटी की जरूरत है, जो डेटा, विकास, उपयोग और प्रौद्योगिकी को अपनाने, उपभोक्ता कल्याण, ऑनलाइन व्यवहार आदि जैसे क्षेत्रों को समन्वित कर सके। इस तरह के एक रेगुलेटरी अथॉरिटी को एक विशिष्ट और उत्तरदायी जांच और न्यायसंगत तंत्र द्वारा संचालित किया जाना चाहिए।

श्री पारवानी एवं श्री दोशी ने आगे बताया कि सम्मेलन में लिया गया संकल्प भी इसी तरह के एकीकृत रेगुलेटर को संदर्भित करता है जिसे 2013 में वित्तीय क्षेत्र विधायी सुधार आयोग द्वारा भारत में वित्तीय क्षेत्र के लिए प्रस्तावित किया गया था। फ्रेंच डिजिटल काउंसिल, यूनाइटेड किंगडम का सेंटर फॉर डेटा एथिक्स एंड इनोवेशन; और सिंगापुर की सूचना-संचार मीडिया विकास प्राधिकरण, डिजिटल इकोसिस्टम के लिए सही रिफरेन्स है। इसलिए, व्यापार जगत के नेताओं के इस सम्मेलन ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल से एक मजबूत और अच्छी तरह से परिभाषित ई-कॉमर्स नीति और एक एकीकृत और अधिकार प्राप्त साइबर रेगुलेटरी अथॉरिटी के गठन का आग्रह किया है, ताकि ई-कॉमर्स व्यापार को विनियमित और मॉनिटर किया जा सके। सम्मेलन ने केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव के साथ भी इस मुद्दे को उठाने का निर्णय लिया।

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